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Sunday, 3 November 2019

मेरे सामने वाली खिड़की में - Mere Samne Wali Khidki Mein Lyrics from Padosan

दोस्तो, किशोर कुमार नाम याद आये और 'मेरे सामने वाली खिड़की में' गीत याद ना आये ऐसा मुमकिन ही नहीं. प्रस्तुत है इस बार, 'मेरे सामने वाली खिड़की में' गीत के बोल हिंदी मैं. यह गीत साल १९६८ मैं आयी फिल्म 'पड़ोसन' से है. गीत के बोल लिखे है राजिंदर कृषण ने और इसे गाया है किशोर कुमारजी ने. 'मेरे सामने वाली खिड़की में' गीत को संगीत दिया है आर.डी.बर्मन साहब ने और यह गीत किशोर कुमार और सुनील दत्त साहब पर चित्रित हुआ है.

इस जानकारी के साथ प्रस्तुत है, 'मेरे सामने वाली खिड़की में' गीत के बोल हिंदी मैं.



फिल्म / एल्बम : पड़ोसन (1968)
संगीत दिया है: आर.डी.बर्मन
गीत के बोल: राजिंदर कृषण
गायक: किशोर कुमार

अरे हे...

ला.. ला..
ला.. ला..
ला.. ला..
ला.. ला..
ला.. ला..

हे.. हे..

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है (2)

अफसोस ये है कि वो हम से
कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

जिस रोज़ से देखा है उस को
हम शमा जलाना भूल गए

दिल थाम के ऐसे बैठे हैं
कहीं आना जाना भूल गए

अब आठ पहर इन आँखों में
वो चंचल मुखड़ा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

बरसात भी आकर चली गयी
बादल भी गरज कर बरस गए (2)

पर उस की एक झलक को हम
ऐ हुस्न के मालिक तरस गए

कब प्यास बुझेगी आँखों की
दिनरात ये दुखडा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

अफसोस ये है कि वो हम से
कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है




 Mere Samne Wali Khidki Mein Lyrics from Padosan


arey hey...

la.. la..
la.. la..
la.. la..
la.. la..
la.. la..

hey.. hey..

mere samne wali khidki mein
ek chand ka tukada rahta hai (2)

afsos yeh hai ki woh hamse
kuch ukhada ukhada rahta hai

mere samne wali khidki mein
ek chand ka tukada rahta hai

jis roj se dekha hai us ko
hum shama jalana bhul gaye

dil tham ke aise baithe hai
kahi ana jana bhul gaye

ab aath pehr in anko mai
woh chanchal mukhda rahta hai

mere samne wali khidki mein
ek chand ka tukada rahta hai

barsat bhi aa kar chali gayi
badal bhi garaj kar baras gaye (2)

par us ki ek zalak ko hum
ye husn ke malik taras gaye

kab pyas buzegi ankho ki
din raat yeh dukhda rahta hai

mere samne wali khidki mein
ek chand ka tukada rahta hai

afsos yeh hai ki woh hamse
kuch ukhada ukhada rahta hai

mere samne wali khidki mein
ek chand ka tukada rahta hai

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