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Monday, 18 November 2019

ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram Lyrics Atif Aslam

प्यारे दर्शको, गैरफिल्मी गीतो की श्रेणी मैं पेश है 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल हिंदी मैं. यह गीत साल २०१५ के 'कोक स्टूडियो सीज़न 8 एपिसोड 1' से है. 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल लिखे है हकीम मिर्ज़ा मदनी ने और इस गीत को गाया है आतिफ़ असलम ने अपने जादुई आवाज मैं. इस गीत का संगीत संयोजन किया है सबरी ब्रदर्ज़ ने. 'ताजदार-ए-हरम' गाने का व्हिडिओ युट्युब पर बहुत सरहाया गया और इसके लाखों लोगो ने देखा है.

इस जानकारी के साथ प्रस्तुत है, आतिफ़ असलम के 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल हिंदी मैं.


फिल्म / एल्बम : कोक स्टूडियो सीज़न 8 एपिसोड 1 (2015)
संगीत दिया है: सबरी ब्रदर्ज़
गीत के बोल: हकीम मिर्ज़ा मदनी
गायक: आतिफ़ असलम

क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे
डूबे ना कभी मेरा सफ़ीना लिख दे
जन्नत भी गँवारा है
मगर मेरे लिए
ऐ कातिब-ए-तक़दीर
मदीना लिख दे

ताजदार-ए-हरम (2)

हो निगाह-ए-करम
हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे

हामी-ए बेकसां क्या कहेगा जहां
आपके दर से खाली अगर जाएँगे

ताजदार-ए-हरम (2)

कोई अपना नहीं गम के मारे हैं हम
आपके दर पे फ़रियाद लाएँ हैं हम
हो निगाह-ए-करम
वरना चौखट पे हम
आपका नाम ले ले के मर जाएँगे

ताजदार-ए-हरम (2)

क्या तुमसे कहूँ ऐ अ रब के कुँवर
तुम जानते हो मन की बतियाँ
दार-ए-फुरक़त तो आये उम्मी-लक़ब
काटे ना कटती हैं अब रतियाँ
तोरी प्रीत में सुध-बुध सब बिसरी
कब तक रहेगी ये बेखबरी
गाहे बेफ़िगन दुज़दीदाह नज़र

कभी सुन भी तो लो हमारी बतियाँ
आपके दर से कोई ना खाली गया
अपने दामन को भर के सवाली गया

हो हबीब-ए-हज़ीन(2)

पर भी आक़ा नज़र
वरना औराक़ ए-हस्ती बिखर जाएँगे

ताजदार-ए-हरम (2)

मैकशों आओ आओ.. मदीने चलें

आओ मदीने चलें (2)

इसी महीने चलें
आओ मदीने चलें

तजल्लियों की अजब है फ़िज़ा मदीने में
निगाहें शौक़ की हैं इंतेहां मदीने में
ग़म-ए-हयात ना खौफ-ए-क़ज़ा मदीने में
नमाज़-ए-इश्क़ करेंगे अदा मदीने में
बराह-ए-रास है राह-ए-खुदा मदीने में

आओ मदीने चलें (2)

इसी महीने चलें
आओ मदीने चलें

मैकशों आओ आओ मदीने चलें
दस्त-ए-साक़ी ये कौसर से पीने चलें
याद रखो अगर
उठ गई इक नज़र
जितने खाली हैं सब जाम भर जाएँगे
वो नज़र

ताजदार-ए-हरम (2)

खौफ़-ए-तूफ़ान है
बिजलियों का है डर
सख़्त मुश्किल है आक़ा किधर जाएँ हम
आप ही गर न लेंगे हमारी खबर
हम मुसीबत के मारे किधर जाएँगे

ताजदार-ए-हरम (2)

या मुस्तफ़ा
या मुजतबा
इरहम लना
इरहम लना
दस्त-ए हमह बेचारा-रा
दमाँ तो-ई दमाँ तो-ई
मन आसियां मन आजिज़म
मन बे-कसम हाल-ए-मेरा

पुरसं तो-ई (2)

ऐ मुश्क-बेद ज़ुम्बर फ़िशां
पैक-ए-नसीम ए सुबह दम
ऐ चारहगर ईसा नफ़स
ऐ मूनस ए बीमार-ए-ग़म
ऐ क़ासिद ए फुरकंदपह
तुझको उसी गुल की कसम
इन नलती या री अस-सबा
यौमन इला अर्द इल-हरम
बल्लिघ सलामी रौदतन
फी अन-नबी अल मोहतरम

ताजदार-ए-हरम (2)


Tajdar-e-Haram Lyrics Atif Aslam


kismat mai meri chain se jina likh de
dube na kabhi mera safina likh de
jannat bhu gawara hai
magar tere liye
ye katib-e-takdir
madina likh de

tajdar-e-haram (2)

ho nigah-e-karam
hum garibo ke din bhi sawar jayenge

hami-e-bekasa kya kahega jaha
apake dar se khali agar jayenge

tajdar-e-haram (2)

koi apna nahi gam ke mare hai hum
apake dar pe fariyad laye hai hum
ho nigah-e-karam
varana chaukhat pe hum
apka nam le le ke mar jayenge

tajdar-e-haram (2)

kya tumse kahu ye a rab ke kuwar
tum jante ho man ki batiya
dar-e-furkat to aye ummi-lakab
kate na katati hai ab ratiya
tori prit mai sudh-budh sab bisari
kab tak rahegi ye bekhabri
gahe befigan duzdidah najar

kabhi sun bhi to lo hamari batiya
apke dar se koi na khali gaya
apane daman ko bhar ke sawali gaya

ho habib-e-hajin (2)

par bhi aka nazar
varna aurak e hasti bikhar jayege

tajdar-e-haram (2)

maikso aao aao.. madine chale

aao madine chale (2)

isi mahine chale
aao madine chale

tajlliyo ki ajab hai fiza madine mai
nigahe shauk ki hai inteha madine mai
gam-e-hayat na kauf-e-kaja madine mai
namaj-e-ishq karenge ada madine mai
barah-e-ras hai rah-e-khuda madine mai

aao madine chale (2)

isi mahine chale
aao madine chale

maikasho aao aao madine chale
dast-e-saki ye kaousar se pine chale
yaad rakho agar
uth gaye ek najar
jitne khali hai sab jam bhar jayenge
woh nazar

tajdar-e-haram (2)

khauf-e-tufan hai
bijliyo ka hai dar
sakht mushkil hai aaka kidar jaye hum
aap hi gar n lenge hamari khabar
hum musibat ke mare kidhar jayege

tajdar-e-haram (2)

ya mustafa
ya muztaba
erham lana
erham lana
dast-e-hamh bechara-ra
dama to e dama to e
man asiya man ajijm
man be kasam hal e mera

purs to-e (2)

ye mushk-bed jumbar fisha
paik e nasim a subhah dam
ye chargah isa nfas
ye muns e bimar-e-gam
ye kasid e furkdpah
tuzko usi gul ki kasam
in nalati ya ri as-saba
yauman ela ard el-haram
balligh salami radtan
fi an-nabi al mohtaram

tajdar-e-haram (2)

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