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Tuesday, 5 November 2019

क्यूँ मैं जागूँ - Kyun Main Jaagoon Lyrics from Patiala House

प्यारे दर्शको, कुछ गीत ऐसे होते है की दिल को छू जाते है, ऐसा ही एक गीत आपके लिये पेश है. गीत के बोल है 'क्यूँ मैं जागूँ'. यह गीत साल २०११ मैं आयी फिल्म 'पटियाला हाउस' से है. 'क्यूँ मैं जागूँ' गीत लिखा है अनविता दत्त गुप्तन ने और इसे संगीत दिया है शंकर-एहसान-लॉय ने. इस गीत को आवाज दी है शफ़क़त अमानत अली खान ने. इस 'पटियाला हाउस' फिल्म मैं अक्षय कुमार और ऋषी कपूर प्रमुख भूमिका मैं  दिखे.

इस जरुरी जानकारी के साथ प्रस्तुत है, 'क्यूँ मैं जागूँ गीत के बोल हिंदी मैं. धन्यवाद!



फिल्म / एल्बम : पटियाला हाउस (2011) 
संगीत दिया है: शंकर-एहसान-लॉय
गीत के बोल: अनविता दत्त गुप्तन
गायक: शफ़क़त अमानत अली खान

मुझे यूँ ही कर के..
ख्वाबों से जुदा....
जाने कहाँ छुप के..
बैठा है खुदा...

जानूँ ना मैं कब हुआ..
ख़ुद से गुमशुदा...
कैसे जियूँ..
रूह भी मुझसे है जुदा...

क्यूँ  मेरी राहें...
मुझसे पूछे घर कहाँ है..

क्यूँ  मुझसे आ के..
दस्तक पूछे दर कहाँ है...

राहें ऐसी जिनकी मंज़िल ही नहीं
दूँढो मुझे अब मैं रहता हूँ वहीं..

दिल है कहीं
और धड़कन है कहीं...
साँसें हैं
मगर क्यूँ ज़िन्दा मैं नहीं...

रेत बनी हाथों से
यूँ बह गयी..
तकदीर मेरी बिखरी
हर जगह
कैसे लिखूँ फिर से
नयी दास्ताँ

ग़म की सियाही
दिखती हैं कहाँ..
आहें जो चुनी हैं मेरी
थी रज़ा...

रहता हूँ क्यूँ फिर
खुद से ही खफ़ा...

ऐसे भी हुई थी मुझसे क्या ख़ता..
तूने जो मुझे दी जीने की सज़ा..

बन्दे तेरे माथे पे
हैं जो खिंचे
बस चंद लकीरों जितना
है जहां
आँसू मेरे मुझको
मिटा कह रहे
रब का हुकुम ना
मिटता है यहाँ

राहें ऐसी जिनकी मंज़िल ही नहीं
दूँढो मुझे अब मैं रहता हूँ वहीं..

दिल है कहीं
और धड़कन है कहीं...
साँसें हैं
मगर क्यूँ ज़िन्दा मैं नहीं...

क्यूँ मैं जागूँ..
और वो सपने बो रहा है..

क्यूँ मेरा रब यूँ
आँखें खोले सो रहा है

क्यूँ मैं जागूँ..



Kyun Main Jaagoon Lyrics from Patiala House


muze yu kar ke..
kwabo se juada....
jane kaha chup ke..
baitha hai khuda...

janu na mai kab hua..
khud se gumshuda...
kaise jiyu..
ruh bhi8 muzse hai juda...

kyu meri rahe...
muzse puche ghar kaha hai..

kyu muzse aa ke..
dastak puche dar kaha hai...

rahe aisi jinki manzil hi nahi
dundo muze ab mai rahta hu wahi..

dil hai kahi
aur dhadkan hai kahi...
sanse hai
magar kyu zinda mai nahi...

ret bani hatho se
yu bah gayi..
takdir meri bikhri
har jagah
kaise khilu fir se
mayi dasta

gam ki siyahi
dikhti hai kaha..
ahe jo chuni hai meri
thi raja...

rahta hai kyu fir
khud se hi khafa...

aise bhi hue thi muzse kya khata..
tune jo muze di jine ki saja..

bande tere mathe pe
hai jo khiche
bas chand lakiro jitna
hai jaha
ansu mere muzko
mita kar rahe
rab ka hukum na
mitata hai yaha

rahe aisi jinki manzil hi nahi
dundo muze ab mai rahta hu wahi..

dil hai kahi
aur dhadkan hai kahi...
sanse hai
magar kyu zinda mai nahi...

kyu mai jagu..
aur woh sapne bo raha hai..

kyu mera rab yu
ankhe khole so raha hai

kyu mai jagu..

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