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Thursday, 31 October 2019

घर से निकलते ही - Ghar Se Nikalte Hi Lyrics from Papa Kahte Hain

दर्शको, इस बार पेश है 'घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही' गीत के बोल हिंदी मैं. यह गीत साल १९९६ मे आयी फिल्म 'पापा कहते हैं' से है. 'घर से निकलते ही' गीत के बोल लिखे है जावेद अख्तर साहब ने और इसे गाया है उदित नारायण और अलका याग्निक ने अपने सुरीली आवाज मैं. इस गीत को संगीत दिया है राजेश रोशनजी ने. यह गीत मयुरी कांगो और जुगल हंसराज पर चित्रित हुआ है.

इस जरुरी जानकारी के साथ प्रस्तुत है, 'घर से निकलते ही' गीत के बोल हिंदी मैं. आनंद लें!



फिल्म / एल्बम : पापा कहते हैं (1996)
संगीत दिया है: राजेश रोशन
गीत के बोल: जावेद अख्तर
गायक: उदित नारायण, अलका याग्निक

घर से निकलते ही...
कुछ दूर चलते ही...
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो
बाल बनाती वो..
खिड़की में आई नज़र

मासूम चेहरा
नीची निगाहें
भोली सी लड़की
भोली अदायें
ना अप्सरा है
ना वो परी है
लेकिन यह उसकी
जादूगरी है..

दीवाना कर दे वो
इक रंग भर दे वो
शर्मा के देखे जिधर..

घर से निकलते ही...
कुछ दूर चलते ही...
रस्ते में है उसका घर

करता हूँ उसके घर के मैं फेरे
हँसने लगे हैं अब दोस्त मेरे
सच कह रहा हू
उसकी कसम है
मैं फिर भी खुश  हू
बस एक ग़म है

जिसे प्यार करता हू
मैं जिस पे मरता  हू
उसको नहीं है खबर...

घर से निकलते ही...
कुछ दूर चलते ही...
रस्ते में है उसका घर

लड़की है जैसे
कोई पहेली
कल जो मिली मुझको उसकी सहेली
मैंने कहा उसको
जा के ये कहना
अच्छा नहीं है
यु  दूर रहना

कल शाम निकले वो
घर से टहलने को
मिलना जो चाहे अगर..

घर से निकलते ही...
कुछ दूर चलते ही...
रस्ते में है उसका घर



Ghar Se Nikalte Hi Lyrics from Papa Kahte Hain


ghar se nikalte hi...
kuch dur chalte hi...
raste mai uska ghar
kal subah dekha to
baal banati woh..
khidki mai ayi nazar

masum chehra
nichi nigahe
bholi si ladki
bholi adaye
na apsara hai
na woh pari hai
lekin yeh uski
jadugiri hai..

diwana kar de woh
ik rang bhar de wo
sharma ke dekhe jidhar..

ghar se nikalte hi...
kuch dur chalte hi...
raste mai uska ghar

karta hu uske gahr ke mai fere
hansne lage hai ab dost mere
sach keh raha hu
usaki kasam hai
mai fir bhi khus hu
bas ek gam hai

jise pyar karta hu
mai jispe marta hu
usko nahi hai khabar...

ghar se nikalte hi...
kuch dur chalte hi...
raste mai uska ghar

ladki hai jaise
koi paheli
kal jo mili muzko uski saheli
maine kaha usko
ja ke ye kahna
achha nahi hai
yu dur rahna

kal sham nikale wo
ghar se tahalne ko
milna jo chahe agar..

ghar se nikalte hi...
kuch dur chalte hi...
raste mai uska ghar

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