Contact myblogs19@gmail.com for any Business/Affiliate Enquiries

Friday, 25 October 2019

रुक जाना नहीं - Ruk Jana Nahi Lyrics from Imtihan

पाठको, पेश है १९७४ मैं आयी फिल्म 'इम्तिहान' से 'रुक जाना नहीं तू कहीं हार के' गीत के बोल हिंदी मे. इस गीत के बोल लिखे है मजरूह सुल्तानपुरीजी ने और इसे संगीत से सजाया है मशहूर जोडी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने. 'रुक जाना नहीं' गीत को गाया है प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार ने और यह गीत अभिनेता विनोद खन्ना पर चित्रित हुआ है.

प्रस्तुत है इस जानकारी के साथ 'रुक जाना नहीं तू कहीं हार के' गीत के बोल हिंदी मे. धन्यवाद!


फिल्म / एल्बम : इम्तिहान (1974)
संगीत दिया है: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीत के बोल: मजरूह सुल्तानपुरी
गायक: किशोर कुमार

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही (2)

नैन आंसू जो लिये हैं
ये राहों के दिये हैं (2)

लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के

सूरज देख रुक गया हैं
तेरे आगे झुक गया हैं (2)

जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले हैं अपनी धून में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतजार के

ओ राही ओ राही (2)

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)

साथी ना कारवाँ हैं
ये तेरा इम्तिहान हैं
यूं ही चला चल दिल के सहारे
करती हैं मंजिल तुझ को इशारे
देख कही कोई रोक नहीं ले
तूझ को पुकार के..

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)

नैन आंसू जो लिये हैं
ये राहों के दिये हैं (2)

लोगों को उनका सब कुछ देके
तू तो चला था सपने ही लेके
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के

ओ राही ओ राही (2)

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही ओ राही (2)



Ruk Jana Nahi Lyrics from Imtihan


ruk jana hahi tu kahi har ke
kante pe chal ke milenge saye bahar ke
o rahi, o rahi (2)

nain ansu jo liye hai
yeh raho ke diye hai (2)

logo ko unka sab kuch deke
tu to chala tha sapne hi leke
koi nahi to tere apane hai sapne ye pyar ke

suraj dekh ruk gaya hai
tere aage zuk gaya hai (2)

jab kabhi aise mastana
nikale hai apani dhun mai diwana
sham suhani ban jate hai din intazar ke

o rahi, o rahi (2)

ruk jana hahi tu kahi har ke
kante pe chal ke milenge saye bahar ke

o rahi, o rahi (2)

sathi na karwa hai
yeh tera imtihaan hai
yu hi chala chal dil ke sahare
karti hai majil muz ko ishare
dekh kahi koi rok nahi le
tuz ko pukar ke..

ruk jana hahi tu kahi har ke
kante pe chal ke milenge saye bahar ke

o rahi, o rahi (2)

nain ansu jo liye hai
yeh raho ke diye hai (2)

logo ko unka sab kuch deke
tu to chala tha sapne hi leke
koi nahi to tere apane hai sapne ye pyar ke

o rahi, o rahi (2)

ruk jana hahi tu kahi har ke
kante pe chal ke milenge saye bahar ke

o rahi, o rahi (2)

No comments:

Post a Comment