पाठको, इस बार आपके लिये प्रस्तुत है, 'ब्रेथलेस' अथवा 'कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था' गीत के संपूर्ण बोल हिंदी मैं. यह गीत गैरफिल्मी गीतो के श्रेणी मैं आता है और यह शंकर महादेवन की साल १९९८ मैं आयी अल्बम 'ब्रेथलेस' से है. यह गीत के बोल लिखे है जावेद अख्तर साहब ने और इसे संगीत दिया है शंकर-एहसान-लॉय ने. 'कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था' गीत एक सांस मैं गाया है शंकर महादेवन ने. पहले यह गीत अपने प्रथम अंश मैं आया जो की आधा गीत था. फिर, इसका द्वितीय अंश आया. हमने यहाँ दोनो अंश जोड़ के संपूर्ण 'ब्रेथलेस' गीत के बोल प्रस्तुत किये है.
इस जानकारी के साथ पेश है, 'ब्रेथलेस' अथवा 'कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था' गीत के संपूर्ण बोल हिंदी मैं.
फिल्म / एल्बम : ब्रेथलेस (1998)
संगीत दिया है: शंकर-एहसान-लॉय
गीत के बोल: जावेद अख्तर
गायक: शंकर महादेवन
कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था जैसे
मेरी सारी दुनिया मैं गीतों की रुत
या मैं गीतों की रुत और रंगों की बरखा है
खुशबू की आँधी है
महकी हुई सी अब सारी फिज़ायें हैं
बहकी हुई सी अब सारी हवाएँ हैं
खोयी हुई सी अब सारी दिशाएँ हैं
बदली हुई सी अब सारी अदाएँ हैं
जागी उमंगें हैं धड़क रहा है दिल
साँसों में तूफाँ हैं होठों पे नगमे हैं
आँखों में सपने हैं
सपनों में बीते हुए सारे वो सारे लम्हें हैं
जब कोई आया था
नज़रों पे छाया था
दिल में समाया था
कैसे मैं बताऊँ तुम्हें
कैसा उसे पाया था
प्यारे से चेहरे पे बिखरी जो जुल्फें तो ऐसा लगता था
जैसे कोहरे के पीछे इक ओस मैं धुला हुआ फूल खिला है
जैसे बादल में एक चाँद छुपा है और झाँक रहा है
जैसे रात के परदे में एक सवेरा है रोशन रोशन..
आँखों में सपनों का सागर जिसमें प्रेम सितारों की चादर जैसे
झलक रही है लहरों लहरों..
बात करे तो जैसे मोती बरसे
जैसे कहीं चांदी की पायल गूंजे
जैसे कहीं शीशे के जाम गिरे और छन से टूटे
जैसे कोई छिप के सितार बजाये
जैसे कोई चांदनी रात में गाए
जैसे कोई हौले से पास बुलाये
कैसी मीठी बातें थी वो
कैसी मुलाकातें थी वो
जब मैंने जाना था
नज़रों से कैसे पिघलते हैं दिल और आरज़ू पाती है कैसे मंज़िल
और कैसे उतरता है चाँद जमीन पर
कैसे कभी लगता है स्वर्ग अगर है
तो बस है यहीं पर..
उसने बताया मुझे और समझाया मुझे
हम जो मिले हैं हमें ऐसे ही मिलना था
गुल जो खिले हैं उन्हें ऐसे ही खिलना था
जन्मों के बंधन जन्मों के रिश्ते हैं
जब भी हम जन्मे तो हम यूँ ही मिलते हैं
कानों में मेरे जैसे शहद से घुलने लगे
ख़्वाबों के दर जैसे आँखों में खुलने लगे
ख़्वाबों की दुनिया भी कितनी हसीं और कैसी रंगीन थी
ख़्वाबों की दुनिया जो कहने को थी पर कहीं भी नहीं थी
ख्वाब जो टूटे मेरे
आँख जो खुली मेरी
होश जो आया मुझे
मैंने देखा
मैंने जाना
वो जो कभी आया था
नज़रों पे छाया था
दिल में समाया था
जा भी चुका है और दिल मेरा अब तन्हाँ तन्हाँ..
न तो कोई अरमां है न कोई तमन्ना है
और न कोई सपना है
अब जो मेरे दिन और अब जो मेरी राते हैं
उनमें सिर्फ आँसू हैं
उनमें सिफ दर्द की रंज की बातें हैं
और फरियादें हैं
मेरा अब कोई नहीं
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं (3)
डूब गया है दिल ग़म के अँधेरे में
मेरी सारी दुनिया है दर्द के घेरे में
मेरे सारे गीत ढले आहों में
बन के दीवाना अब यहाँ वहाँ फिरता हूँ
ठोकर खाता हूँ उन राहों में
जहाँ उसे देखा था
जहाँ उसे चाहा था
जहाँ मैं हँसा था और बाद में रोया था
जहाँ उसे पाया था
पा के खोया था
जहाँ कभी फूलों के
कलियों के साए थे
रंगीं-रंगीं महकी रुत ने
हर इक कदम पर रास रचाए थे
गुलशन गुलशन दिन में उजाले थे
जगमग जगमग नूर था रातों में
झिलमिल झिलमिल...
जब मैंने ख़्वाबों की देखी थी मंज़िल
जहाँ मेरी कश्ती ने पाया था साहिल
जहाँ मैंने पाई थी पलकों की छाँव
जहाँ मेरी बाहों में कल थी किसी की मरमरी बाहें
जहाँ एक चेहरे से हटती नहीं थी मेरी निगाहें
जहाँ कल नरमी ही नरमी थी
प्यार ही प्यार था बातों में
हाथ थे हाथों में
जहाँ कल गाये थे प्रेम तराने
जहाँ कल देखे थे सपने सुहाने
किसी को सुनाए थे दिल के फ़साने
जहाँ कल खाई थी जीने की मरने की कसमें
तोड़ी थी दुनिया की सारी रस्में
जहाँ कल बरसा था प्रीत का बादल
जहाँ मैंने थामा था कोई आँचल
जहाँ पहली बार हुआ था मैं पागल
अब उन राहों में कोई नहीं है
अब हैं वो राहें वीराँ वीराँ
दिल भी है जैसे हैराँ हैराँ
जाने कहाँ गया मेरे सपनों का मेला
ऐसे ही ख्यालों में खोया खोया
घूम रहा था मैं कबसे अकेला
चंदा सितारे जैसा कोई गगन में
गूंजी सदा कोई मन आँगन में
किसी ने पुकारा मुझे
मुड़ के जो देखा मैंने
मिल गया खोया हुआ दिल का सहारा मुझे
जिसे मैंने चाहा था जिसे मैंने पूजा था
लौट के आया है थोड़ा शर्मिंदा है थोड़ा घबराया है
ज़ुल्फें परेशाँ हैं काँपते होठ और भीगी हुई आँखें हैं
देख रहा है मुझे गुमसुम गुमसुम
उसकी नज़र जैसे पूछ रही हो
इतना बता दो कहीं खफ़ा तो नहीं तुम
प्यार जो देखा फिर मेरी निगाहों में
आया नहीं कल था वो मेरी इन बाहों में
भूल गया मेरा दिल जैसे हर ग़म
बदल गया जैसे दुनिया का मौसम
झूमे नज़ारे और झूमी फ़िज़ाएँ
और झूमे चमन और झूमी हवाएँ
जैसे फिर कहने लगी सारी दिशाएँ
कितनी हसीं है कितनी सुहानी
हम दोनों की प्रेम कहानी... हम दोनों की प्रेम कहानी...