हमारे प्यारे वाचको के लिये पेश कर रहे है साथिया फिल्म के शीर्षक गीत के बोल. यह फिल्म वर्ष २००२ मैं आयी थी और इस शीर्षक गीत को गाया है सोनू निगम, डोमिनिक सेरेजो और क्लिंटन सेरेजो ने. साथिया.. साथिया गीत का संगीत दिया है ए. आर. रहमान ने और इस गीत को लिखा है गुलझार साहब ने. इस फिल्म के संगीत कॉपीराइट्स अधिकार यश राज फ़िल्मस म्युसिक कंपनी के है.
इतनी जानकारी के बाद आप के लिये प्रस्तुत है, साथिया... साथिया शीर्षक गीत के बोल (लिरिक्स). उम्मीद है आप लोग आनंद लेंगे.
इतनी जानकारी के बाद आप के लिये प्रस्तुत है, साथिया... साथिया शीर्षक गीत के बोल (लिरिक्स). उम्मीद है आप लोग आनंद लेंगे.
फिल्म / एल्बम : साथिया (2002)
संगीत दिया है: ए.आर.रहमान
गीत के बोल: गुलज़ार
गायक: सोनू निगम, डोमिनिक सेरेजो, क्लिंटन सेरेजो
साथिया हा
साथिया हा
मद्धम मद्धम तेरी ये गीली हंसी
साथिया हा
साथिया हा
सुन के हम ने साड़ी पीली हंसी
ओ हो ओ हो हो हो
हंसती रहे तू हंसती रहे ह्या की लालीई खिलती रहे
झुल्फ के नीचे गर्दन पे सुबह -ओ -शाम मिलती रहे
हंसती रहे तू हंसत रहे ह्या की लालीई खिलती रहे
झुल्फ के नीचे गर्दन पे सुबह -ओ -शाम मिलती रहे
सोन्धी सी हँसी तेरी खिलती रहे मिलाती रहे
पीली धूप पाहन के तुम देखो बाग मेन मत जाणा
भंवरे तुम को सब छेडेन्गे फुउलोन मेन मत जाणा
माद्धाम माद्धाम हंस दे फिर से
सोना सोना फिर से हंस दे
ताझां गिरे पत्ते की तऱ्ह सब्ज लावण पार लेते हुएय
सात रंग हीन बहारोन के एक अदा मेन लापेते हुएय
सावन भादोन सारे तुझ से
मद्धाम मद्धाम हंसते राणा
मद्धाम मद्धाम हंसते राणा
साथिया हा
साथिया हा
मद्धाम मद्धाम तेरी ये गिली हंसी
साथिया हा
साथिया हा
सून के हम ने सारी पी ली हंसी
कभी नीले आसमान पे चलो घूमानेन चालेन हम
कोई अब्र मिल गया तो ज़मीन पे बरस लेन हम
तेरी बाली हील गाई ही कभी शब चमक उठीई ही कभी शाम खिल गाई ही
रु रु रु रु रु रु रु
तेरे बालों की पनाह में हो ये सियाह रात गुज़ारे
तेरी काली काली आंखेन कोई उजली बात उतारे
तेरी इक हन्सी के बदले मेरी ये जामीन ले ले मेरा आसमान ले ले
साथिया हा
साथिया हा
मद्धाम मद्धाम तेरी ये गिली हंसी
साथिया हा
साथिया हा
सून के हम ने सारी पीली हंसी
बर्फ गिरी हो वादी मेन
उन मेन लिपती सिमती हुई
बर्फ गिरी हो वादी मेन और हन्सी तेरीई गुंजे
उन मेन लिपती सिमती हुई बात करे धुवान निकले
गरम गरम उजला धुवां नरम नरम उजाला धुवां
Saathiya ha
Saathiya ha
madham madhan teri ye gili hansi
Saathiya ha
Saathiya ha
sun ke hum ne sari pili hansi
oo ho oo ho ho ho
hansti rahe tu hansti rahe haya ki lali khilti rahe
zulf ke niche gardan pe subah-o-sham milti rahe
hansti rahe tu hansti rahe haya ki lali khilti rahe
zulf ke niche gardan pe subah-o-sham milti rahe
sondhi si hansi teri khilti rahe milati rahe
pili dhup pehn ke tum dekho bagh mai mat jana
bhaware tum ko sab chedenge phulon mai maat jaana
madham madham hans de fir se
sona sona phir se hans de
taza gire patte ki tarah sabj lavan par lete huye
saat rang hi baharon ke ek ada mai lapete huye
sawan bhado sare tuz se
madham madham hanste rehna
madham madham hanste rehna
Saathiya ha
Saathiya ha
madham madhan teri ye gili hansi
Saathiya ha
Saathiya ha
sun ke hum ne sari pili hansi
kabhi neele asmaan pe chalo gumane chale hum
koi abra mil gaya to jammen pe baras le hum
teri baali hil gayi hai
kabhi shab chamak uthi hi
kabhi sham khil gayi hai
ru ru ru ru ru ru ru
tere balo ki panah mai ho ye siyah raat gujare
teri kaali kaali ankhen koi ujali baat utare
teri ek hansi ke badle
meri ye jameen le le
mera ansaman le le
Saathiya ha
Saathiya ha
madham madhan teri ye gili hansi
Saathiya ha
Saathiya ha
sun ke hum ne sari pili hansi
barf geeri ho wadi mai
un mai lipati simati huyee
barf geeri ho wadi mai aur hansi teri gunje
un mai lipati simati huyee baat kare duwa nikale
garam garam ujala duwa naram naram ujala duwa
No comments:
Post a Comment